IPS Kamya Mishra: बिहार की ‘लेडी सिंघम’ कही जाने वाली आईपीएस अधिकारी काम्या मिश्रा का इस्तीफा राष्ट्रपति ने स्वीकार कर लिया है। उन्होंने अपना इस्तीफा आज से करीब एक साल पहले दिया था। अपने तेज दिमाग और मजबूत वर्क एथिक्स के लिए पहले भी सुर्खियां बटोर चुकीं काम्या के इस्तीफे ने कई लोगों को इस असाधारण अधिकारी के सफर के बारे में सोचने पर मजबूर कर दिया है। दरअसल, उन्होंने 22 साल की छोटी सी उम्र में ही सिविल सेवा परीक्षा पास की थी, तो आइये इसके बारे में विस्तार से जानते है।
कौन है IPS काम्या मिश्रा ?
एक मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, काम्या मिश्रा ओडिशा के एक बड़े बिजनेसमैन परिवार से ताल्लुक रखती हैं। वह अपने पिता की इकलौती संतान हैं। उन्होंने नौकरशाही छोड़ने का फैसला पिता का बिजनेस संभालने के लिए लिया है। काम्या मिश्रा 2020 बैच की पुलिस अधिकारी थीं।
उन्होंने साल 2019 में यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा 172वीं रैंक से क्रैक की थी। शुरुआत में उन्हें हिमाचल प्रदेश कैडर मिला था। लेकिन बाद में उन्होंने खुद ही अपना कैडर बदलकर बिहार करवा लिया था। काम्या बचपन से ही पढ़ाई में अव्वल थीं। उन्होंने 12वीं कक्षा में 98 फीसदी अंक हासिल किए थे।
अगस्त 2024 में दिया था इस्तीफा
बिहार की इस लेडी सिंघम ने 5 अगस्त 2024 को खबर आई थी कि आईपीएस अधिकारी काम्या मिश्रा ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है, हालांकि, जब उनसे इसके पीछे का कारण पूछा गया, तो उन्होंने इसे निजी और पारिवारिक वजहों से जोड़ा। उस वक्त पुलिस मुख्यालय ने उनके इस्तीफे को स्वीकार नहीं किया था, लेकिन अब जाकर इसे मंजूरी मिल गई है।
12वीं में हासिल किए 98% मार्क्स
ओडिशा की रहने वाली काम्या मिश्रा एक बेहतरीन छात्रा थीं। 12वीं कक्षा में काम्या ने 98% अंक हासिल किए। पढ़ाई के प्रति लेडी सिंघम के समर्पण ने उन्हें अपने पहले प्रयास में देश की सबसे कठिन यूपीएससी परीक्षा पास करने में मदद की, जिससे उन्हें महज 22 साल की उम्र में आईपीएस में प्रतिष्ठित स्थान मिला।
नौकरी से इस्तीफा देने की वजह
दरअसल, काम्या मिश्रा ने कहा था कि वह अपने माता-पिता की इकलौती संतान हैं और घर पर बड़ा व्यवसाय है, जिसे संभालना मुश्किल हो रहा है। साथ ही, परिवार की जिम्मेदारियों को भी संभाल पाना उनके लिए चुनौतीपूर्ण हो गया था। उनका यह भी कहना था कि इतनी प्रतिष्ठित नौकरी कोई आसानी से नहीं छोड़ता, लेकिन कई मौकों पर उन्होंने जिक्र किया कि उनका मन अब इस नौकरी में नहीं रम रहा था।