Justice BR Gavai: मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने बुधवार को केंद्रीय कानून मंत्रालय को न्यायमूर्ति बी आर गवई को अगला मुख्य न्यायाधीश नियुक्त करने की सिफारिश की है। जस्टिस बीआर गवई जो वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश हैं 14 मई को देश के अगले मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ लेंगे। उनका पदभार ग्रहण 13 मई को मौजूदा मुख्य न्यायाधीश जस्टिस संजीव खन्ना के रिटायरमेंट के बाद होगा।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि जस्टिस गवई इस पद पर पहुंचने वाले दूसरे दलित प्रमुख न्यायाधीश होंगे। इससे पहले जस्टिस केजी बालाकृष्णन इस सम्मानित पद पर आसीन हो चुके हैं जो अनुसूचित जाति वर्ग से थे। जस्टिस गवई का यह पदभार संभालना न्यायपालिका में दलित समुदाय की महत्वपूर्ण उपस्थिति को दर्शाता है, तो आइये इसके बारे में जानते है।
कौन है Justice BR Gavai ?
जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई उर्फ बीआर गवई का जन्म 24 नवंबर 1960 को महाराष्ट्र के अमरावती में हुआ। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा यहां पर पूरी की। बीआर गवई, न्यायमूर्ति के.जी. बालकृष्णन के बाद भारत के मुख्य न्यायाधीश पद तक पहुंचने वाले दूसरे दलित न्यायाधीश होंगे।
कितने तक पढ़े है बीआर गवई
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि, 16 मार्च 1985 में वकालत की शुरुआत की। 1987 में बॉम्बे हाई कोर्ट में स्वतंत्र प्रैक्टिस बने। पूर्व न्यायाधीश राजा एस. भोंसले के साथ काम कर संवैधानिक और प्रशासनिक कानून में विशेष योग्यता हासिल की। 1987 से 1990 तक बॉम्बे उच्च न्यायालय में स्वतंत्र रूप से वकालत की। 1990 के बाद, मुख्य रूप से बॉम्बे उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ के समक्ष वकालत की।
1992 से 2000 तक विभिन्न सरकारी पदों पर कानूनी प्रतिनिधित्व किया, जिसमें सरकारी वकील और लोक अभियोजक के रूप में कार्य शामिल रहा। 14 नवंबर 2003 में बॉम्बे हाई कोर्ट में अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत हुए। 12 नवंबर 2005 को बॉम्बे उच्च न्यायालय के स्थायी न्यायाधीश बने। 24 मई 2019 में सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नत किए गए। वे मुंबई के मुख्य पीठ सहित नागपुर, औरंगाबाद और पणजी की पीठों में भी सेवाएं दे चुके हैं।
6 महीने का होगा बीआर गवई का कार्यकाल
जस्टिस गवई लगभग छह महीने तक भारत के चीफ जस्टिस रहेंगे। जस्टिस गवई नवंबर में रिटायर्ड होने वाले हैं। जस्टिस केजी बालकृष्णन के बाद वे चीफ जस्टिस का पद संभालने वाले दूसरे दलित होंगे, जिन्हें 2007 में देश के शीर्ष न्यायिक पद पर प्रोमोट किया गया था। जस्टिस गवई राज्य में हाई कोर्ट के पूर्व महाधिवक्ता और जस्टिस बैरिस्टर राजा भोंसले के साथ काम किया।
बीआर गवई ने बुल्डोजर एक्शन पर उठाए थे कई सवाल
दरअसल, बीआर गवई को साल 1992 में बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच में महाराष्ट्र सरकार का असिस्टेंट प्लीडर एंड असिस्टेंट पब्लिक प्रॉसिक्यूटर नियुक्त किया गया था। वे साल 2003 में हाईकोर्ट के एडिशनल जज बने। बीआर गवई साल 2019 में सुप्रीम कोर्ट आए और अब सीजेआई बनने जा रहे हैं। पिछले साल बीआर गवई ने बुल्डोजर एक्शन पर कई तरह के सवाल उठाए थे।
आरक्षण पर सुनाया था बड़ा फैसला
एक और महत्वपूर्ण फैसले में, जस्टिस गवई सात सदस्यीय संविधान पीठ का हिस्सा थे, जिसने 6:1 के बहुमत से यह निर्णय दिया कि राज्य सरकारें अनुसूचित जातियों के भीतर अति-पिछड़ों के लिए उप-वर्गीकरण कर सकती है।
ऐतिहासिक निर्णयों में निभाई भागीदारी
जस्टिस बी. आर. गवई उन पांच न्यायाधीशों की पीठ में शामिल थे, जिसने सर्वसम्मति से केंद्र सरकार के 2019 के अनुच्छेद 370 को हटाने के फैसले को बरकरार रखा था। यह निर्णय जम्मू और कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले प्रावधान को समाप्त करने से जुड़ा था।
वह उस पीठ का भी हिस्सा थे, जिसने राजनीतिक फंडिंग के लिए इस्तेमाल की जा रही चुनावी बॉन्ड योजना को असंवैधानिक करार दिया। इसके अलावा, 2016 की नोटबंदी को लेकर केंद्र सरकार के फैसले को भी उन्होंने 4:1 बहुमत वाले निर्णय में वैध ठहराया।