Ram Babu Singh: पहलगाव आतंकी हमलो के बाद भारत-पाकिस्तान में चल रहे महायद्ध के वजह से जम्मू-कश्मीर के बॉडर पर भी तनाव का माहौल छिड़ा हुआ है। जम्मू-कश्मीर के बॉडर पर चल रहे भारी गोलीबारी और बमबारी के वजह से BSF के जवान राम बाबू सिंह शहीद हो गए।
आज शाम को उनका पार्थिव शरीर अपने गावं सिवान लाया गया। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि, बिहार के सीवान जिले के रहने वाले राम बाबू सिंह का अंतिम संस्कार उनके पैतृक गांव बड़हरिया प्रखंड के वसिलपुर गांव में आज किया जायेगा। शहीद राम बाबू सिंह बीती 9 मई को जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान की ओर से हुई गोलीबारी में घायल हो गए थे। और आज 13 मई की सुबह ही उनकी मौत हो गई, तो आइये इसके बारे में जानते है।
नीतीश कुमार शहीद के परिवार को देंगे 50 लाख का मुआवजा
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जानकारी देते हुए कहा है कि, सहीद हुए BSF के जवान “रामबाबू सिंह” को पूरा देश याद रखेगा। मैं इस दुखद घटना से बेहद मर्माहत हूं। ईश्वर शहीद के परिजनों को इस कठिन समय में धैर्य और साहस दे। राज्य सरकार उनके परिवार के साथ खड़ी है.” मुख्यमंत्री ने ये भी बताया कि शहीद का राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार कराया जाएगा और उनके निकटतम आश्रित को 50 लाख रुपये की सहायता दी जाएगी।
India: Bihar CM Nitish Kumar announces Rs 50 lakh compensation for the family of martyred BSF jawan Ram Babu Singh.
— @Global Glimpse (@HimanshuSh80843) May 13, 2025
4 महीने पहले हुई थी शादी
मीडिया रिपोर्ट की मानें तो, शहीद BSF के जवान रामबाबू सिंह की शादी करीब चार महीने पूर्व ही हुई थी। गांव के लोग उनके पार्थिव शरीर के आने का इंतजार कर रहे हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि, शहीद BSF जवान रामबाबू सिंह के ससुर सुभाष चंद्र शर्मा ने बताया कि उनके दामाद ने 10 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर में ड्यूटी ज्वाइन की थी। उनके ससुर ने बताया कि वे और उनकी बेटी दोनों धनबाद में थे। बीते सोमवार को करीब डेढ़ बजे आर्मी हेडक्वार्टर से कॉल आया कि दामाद को गोली लग गई है, इसके बाद सूचना मिली कि वे शहीद हो गए हैं।
पत्नी को नहीं दिया शहीद होने की खबर
दरअसल, चार महीने पहले ही रामबाबू का शादी हुआ था। परिवार वालों ने इनके सहीद होने की खबर पत्नी को नहीं बताया है । मीडिया रिपोर्ट से पता चला है कि, शहीद की पत्नी को सिर्फ उनके घायल होने की जानकारी देकर मंगलवार सुबह मायके धनबाद से गांव भेज दिया गया। सूत्रों से यह भी पता चला है कि, शहीद रामबाबू के पिता का निधन दो वर्ष पूर्व ही हुआ था।