Bihar Land Survey: बिहार सरकार के राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री संजय सरावगी ने कहा है कि सभी रैयतों की जमीन उनके नाम पर हो जाए इसके लिए जमीन सर्वे की प्रक्रिया को सरल बना दिया गया है। ऑनलाइन आवेदन की अंतिम तिथि 31 मार्च थी बावजूद पोर्टल को खोल कर रखा गया है।
अभी भी लोगो को उनके जमीन से जुड़ा जो कागजात उपलब्ध है। उसके साथ अपना स्व घोषणा आवेदन जमा कर दें बाकी कागजात बाद में भी दे सकते है, तो चलिए इसके बारे में जानते है।
भूमि सर्वेक्षण प्रक्रिया में किया जाएगा समाधान
इसके अलावा, सरकार ने यह भी कहा है कि भूमि सर्वेक्षण प्रक्रिया में आने वाली किसी भी आपत्ति को सुना जाएगा और उसका समाधान किया जाएगा। यदि किसी भी व्यक्ति को अपनी भूमि के रिकॉर्ड में कोई समस्या महसूस होती है, तो उसे संबंधित अधिकारियों से अपनी आपत्ति दर्ज करानी होगी। इस तरह से सरकार ने यह सुनिश्चित करने की कोशिश की है कि सर्वेक्षण में कोई भी गड़बड़ी न हो और सभी भूमि मालिकों के अधिकारों की रक्षा हो सके।
जमीन मालिकों को पार करना होगा 6 स्टेज
1. जानकारी संग्रह और प्रपत्र-2 भरवाना
अभियान की शुरुआत अमीन द्वारा हर गांव में जाकर सभी जमीन मालिकों से प्रपत्र-2 भरवाने से होती है। इसमें ज़मीन से जुड़ी सारी जानकारी, जैसे खाता संख्या, खेसरा नंबर, सीमा, फसल, किरायेदारी आदि दर्ज की जाती है।
2. नक्शा निर्माण और सीमांकन
इसके बाद आधुनिक तकनीकों से खेसरा वार नक्शा तैयार किया जाता है। सीमांकन से हर भूखंड की सटीक स्थिति और दायरे की पुष्टि की जाती है।
3. दावा और सत्यापन प्रक्रिया
इस चरण में ज़मीन मालिकों को अपने-अपने भूखंड पर दावा करने का अवसर मिलता है। दस्तावेज़ों और नक्शों के आधार पर दावों की जांच की जाती है।
4. आपत्ति दर्ज और समाधान
अगर दो पक्षों के बीच ज़मीन को लेकर विवाद होता है या कोई विसंगति सामने आती है, तो उसे रिकॉर्ड किया जाता है। तहसील स्तर पर अधिकारी इसकी सुनवाई कर समाधान करते हैं।
5. रिकॉर्ड प्रकाशन और लगान निर्धारण
सत्यापित रिकॉर्ड सार्वजनिक रूप से प्रकाशित किया जाता है और हर भूखंड पर लगान की दर तय की जाती है। यह कदम बंदोबस्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता लाता है।
6. अंतिम आपत्ति और फाइनल रिकॉर्ड
यदि किसी को अब भी कोई आपत्ति हो, तो अंतिम सुनवाई का मौका दिया जाता है। इसके बाद भूमि रजिस्टर को स्थायी रूप से अपडेट किया जाता है।
बिहार सरकार की उम्मीद
इस अभियान से बिहार सरकार को उम्मीद है कि भूमि के रिकॉर्ड में सुधार होगा, भूमि विवादों में कमी आएगी, और नागरिकों को अपनी जमीन के मालिकाना हक से जुड़ी कोई भी परेशानी नहीं होगी। सरकार ने सभी नागरिकों से अपील की है कि वे इस महत्वपूर्ण अभियान में भाग लें और अपनी भूमि के रिकॉर्ड को सही कराएं। यह बिहार के विकास के लिए एक अहम कदम होगा, जो राज्य में भूमि के सही उपयोग और व्यवस्था को सुनिश्चित करेगा।